Delhi Government To Set Up Another 100 Charging Stations For Electric Vehicle, The Government Goal To Set Up A Station After Every Kilometer
स्विच दिल्ली कैंपेन: इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए 100 चार्जिंग स्टेशन बनाएंगे, सरकार का लक्ष्य- हर एक किलोमीटर पर मिले चार्जिंग की सुविधा
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- दिल्ली में फिलहाल 70 इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन शुरू हो चुके हैं
- सरकार इलेक्ट्रिक कार खरीदने पर 3 लाख की छूट भी दे रही है
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के तरफ ग्राहकों के बढ़ते रुझान को देखते हुए कई राज्य सरकारों ने इसके इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करना शुरू कर दिया है। हाल ही में दिल्ली सरकार ने शहरभर में इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए और 100 चार्जिंग स्टेशन लगाने करने के लिए नए सिरे से टेंडर जारी किए हैं। यह कदम दिल्ली सरकार के ‘स्विच दिल्ली’ कैंपेन के तहत उठ गया है।
हर एक किमी पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य
सूत्रों के अनुसार दिल्ली सरकार अगले दो सालों में हर एक किलोमीटर पर चार्जिंग स्टेशन लगाने की योजना बना रही है। वर्तमान में 70 इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन शहर के अलग-अलग हिस्सों में काम कर रहे हैं।
इलेक्ट्रिक टूव्हीलर पर 30 हजार रु. की सब्सिडी
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए केजरीवाल सरकार ने इसी साल 4 फरवरी को ‘स्विच दिल्ली’ कैंपेन शुरू किया है। इसमें दिल्ली वासियों को दो पहिया इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने पर 30 हजार रुपए की सब्सिडी और इलेक्ट्रिक कार खरीदने पर 3 लाख रुपए तक की छूट देने की बात कही गई थी। केजरीवाल ने कहा था कि सब्सिडी के लिए ग्राहकों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वाहन खरीदने के महज तीन दिन के अंदर लोगों के खाते में सब्सिडी पहुंच जाएगी।
गो इलेक्ट्रिक कैम्पेन शुरू
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को दिल्ली में गो इलेक्ट्रिक कैम्पेन की शुरुआत की है। इसके तहत विभाग के अधिकारियों के लिए इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अनिवार्य बनाएंगे। गडकरी का कहना है कि अगर दिल्ली में 10,000 इलेक्ट्रिक वाहनों को इस्तेमाल में लाया जाता है तो इससे प्रदूषण में काफी गिरावट आएगी। ईंधन खर्च में भी बचत होगी।
देश में तीन साल में बढ़ी 6 गुना ई-कार
- सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एसएमईवी) के मुताबिक बीते तीन वर्ष में ई-कार करीब छह गुना और ई-टू व्हीलर करीब नौ गुना बढ़े हैं। मगर ई-व्हीकल की कीमत अभी बड़ी चुनौती है और वह तभी कम हो सकती है जब मैन्युफैक्चरिंग की लागत का सबसे बड़ा हिस्सा यानी बैटरी की लागत कम हो। एक ई-व्हीकल की लागत में करीब 35% बैटरी की कीमत होती है। यह स्थिति तब है जब पिछले 10 वर्षों में ई-व्हीकल बैटरी की लागत 90% कम हुई है।
- अगले दो-तीन वर्षों में मौजूदा लागत 50% तक और घट जाएगी। दो वर्ष में देश में ही बैटरियों निर्माण भी शुरू हो जाएगा। तकनीकी सुधार और वाहनों की संख्या बढ़ने पर ई-व्हीकल की लागत में बैटरी की हिस्सेदारी 16% रह जाएगी। जाहिर है, ई-व्हीकल सस्ते होंगे। नीति आयोग और रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट की स्टडी के अनुसार 2030 में देश में इलेक्ट्रिक बैटरी का मार्केट 21 लाख करोड़ रुपए का होगा। इसके लिए देश में 2030 तक 60 हजार मीट्रिक टन लीथियम की जरूरत होगी।
देश में ई-वाहन मार्केट
वाहन | 2017-18 | फरवरी 2021 |
दो पहिया | 54,800 | 4,75,000 |
चार पहिया | 1,200 | 7,000 |
तीन पहिया | 8,50,000 | 17,50,000 |
सोर्स : एसएमईवी |
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