किराया न देने पर क्या लॉकर खाली कर सकता है बैंक ?
किराया न देने पर क्या लॉकर खाली कर सकता है बैंक ? |
नई दिल्ली। हम सभी जानते हैं कि अपना कीमती सामान घर पर रखना बेहद असुरक्षित होता है। इसीलिए हम सोना चांदी से लेकर जमीन जायदाद दस्तावेज जैसे जरूरी सामान हम लॉकर में रखते हैं। लेकिन यदि बैंक ही यदि आपका लॉकर तोड़कर सामान निकाल ले तो जिम्मेदारी किसकी होगी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ा एक बड़ा आदेश दिया है। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लॉकर की सुरक्षा व संचालन में जरूरी सावधानी बरतना बैंकों का दायित्व है। बैंक अपनी जिम्मेदारी से हाथ नहीं झाड़ सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिए अपने निर्देश में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कहा है कि वह छह महीने के भीतर लॉकर सुविधा या सुरक्षित धरोहर प्रबंधन के बारे में उचित नियमन जारी करे। कोर्ट ने कहा है कि बैंकों को इस बारे में एकतरफा नियम तय करने की छूट नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने बैंक लॉकर प्रबंधन के बारे में बैंकों के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है।
यह फैसला शुक्रवार को न्यायमूर्ति एमएम शांतनगौडर और विनीत सरन की पीठ ने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ दाखिल एक ग्राहक अमिताभ दासगुप्ता की याचिका पर सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत सेवा में कमी का जिम्मेदार ठहराते हुए याचिकाकर्ता को पांच लाख रुपये हर्जाना और एक लाख रुपये मुकदमा खर्च अदा करने का आदेश दिया है।
बताए बगैर तोड़ा लॉकर
अमिताभ दासगुप्ता ने बैंक पर आरोप लगाया था कि लॉकर का किराया देने के बावजूद बैंक ने समय से किराया अदा न करने के आधार पर उसका लॉकर उसे बताए बगैर तोड़ दिया। लॉकर तोड़ने की सूचना भी उसे नहीं दी। जब वह करीब साल भर बाद लॉकर संचालित करने बैंक गया तब उसे इसकी जानकारी हुई और बैंक ने लॉकर में रखे उसके सात आभूषण वापस नहीं किए। सिर्फ दो ही आभूषण वापस किए। पीठ ने कहा, ग्राहक पूरी तरह से बैंक के भरोसे रहते हैं। संपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए बैंकों के पास अधिक व बेहतर संसाधन है। ऐसी स्थिति में बैंक अपनी इस जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते कि बैंक के लॉकर के संचालन में उनकी जिम्मेदारी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश
- 1- बैंक लॉकर रजिस्टर और लॉकर की चाबी का रजि
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